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शाम ढल गई है, बस मुलाकात बाकी हैं।
शाम ढल गई है, बस मुलाकात बाकी हैं।
तेरे इश्क के रंगों में जो रंग गए हैं,
अब होठों की प्यास बाकी हैं।
छाई है चांदनी जमीं पर, बस तेरे लिए।
बस एक मुलाक़ात हो जाए सनम, मेरे इश्क के लिए।।


आज कितना सुहाना है ये मौका ,
तुझसे मिलने की।
बिछी हैं चारों ओर चमक चांदनी,
वो बाते खेलने की।
बस तेरा इंतज़ार है साथी, चांदनी भरी रातों में।
अब मेरा मन भी जोश से भरा हैं, तेरे हर बातों में।।


अब तो शाम भी घुंघरू बजाती है, मेरे कानों में गुन गुनाकर।
किसलय पर बिछी हैं रोशनी, सौंदर्य दृश्य लेकर।
आने की देर क्यूं है यहां पर, मयूर भी नृत्य करके बुलाते हैं।
रंग- बिरंगे है चारों तरफ, हरे- भरे पौधे सुंदरता लिए झुककर।।


किसलय पर सरकती है ओस की बूंदें धीरे- धीरे करके।
जुगुनूओ की बरात सजी आ रही है उजाला लेकर।
मै तो तेरे याद में खो गए अब, सुंदर दृश्य देखकर खुश हो जाते हैं।
मिलने के लिए बेचैन हूं यहां पर, तेरी आईना जैसी चमक देखकर खोजाते हैं।


मुस्काते यहां के पुष्प तुझे देखने के लिए तरस जाते हैं।
सिर्फ़ हम दोनों है इस मौसम के बीच में, और कोई नहीं दिखाई पड़ता है।
आज दिन है इतवार का, मजा होगा शाम का सब कोई पुकारते हैं तुझे।
कितने हरे- भरे पत्ते है यहां मिलकर मस्ती करते हैं, ओ भी पुकारते हैं तुझे।।
©manoj kumar 🖊️💐❤️