" लाखों दूरियाँ "
" लाखों दूरियाँ "
लाखों दूरियाँ और रुसवाईयां हों
सनम, हमारे दरमियाँ..!
फिर भी तुम मुझे याद करने के
वास्ते फ़ुरसत के लम्हों को
तलाशोगे..
इन बंजर फ़िज़ाओं मे तन्हाई से
गुजारिश करोगे..!
फ़ासले दिल में कभी भी कम नहीं
होंगे..
मैं मर कर भी, मेरा वजूद तुम्हारे
दिल में
हमेशा जिन्दा रहेगा, यह देखना
तुम..!
जीतें जी तो बेहिसाब रज-रज कर
रुलाया और तड़पाया है, तुम ने मुझे
ओ बेदर्दी..!
यूँ जिन्दगी रहते हुए तो जमाने के
...
लाखों दूरियाँ और रुसवाईयां हों
सनम, हमारे दरमियाँ..!
फिर भी तुम मुझे याद करने के
वास्ते फ़ुरसत के लम्हों को
तलाशोगे..
इन बंजर फ़िज़ाओं मे तन्हाई से
गुजारिश करोगे..!
फ़ासले दिल में कभी भी कम नहीं
होंगे..
मैं मर कर भी, मेरा वजूद तुम्हारे
दिल में
हमेशा जिन्दा रहेगा, यह देखना
तुम..!
जीतें जी तो बेहिसाब रज-रज कर
रुलाया और तड़पाया है, तुम ने मुझे
ओ बेदर्दी..!
यूँ जिन्दगी रहते हुए तो जमाने के
...