...

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कलम उठाने तक का सफ़र

दिल में कुछ खयाल आए । 
जो साथ सो तरह के सवाल लाये । 

सोचा कि क्या मेरे जज्बात लोगों को सच्चे लगेंगे ? 
क्या मेरे शब्द भी कभी किसी को अच्छे लगेंगे ? 


सोचा कि शब्द काटे बनकर रह जायेगे या शब्दरूपी गुलाब कभी खिलेगा ? 
क्या मुझे विचार दुनिया तक पहुँचाने का मौका कभी मिलेगा? 


सोचा कि कैसे मुकाम पाऊँगी मेरी तो किसी सायर से पहचान भी नहीं है ? 
कैसे लिखूंगी अच्छा मुझमे तो अनुभव भी नहीं और...