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पूर्णिमा का चन्द्रोदय
सितारों से सजा जैसे
नीला आसमान
पूर्णिमा के चन्द्रोदय से
दीप्त होता जैसे आकाश।
समंदर अपनी लहरों से अपने ही भीतर
भिगोता है जैसे कठोर चट्टान
पृथ्वी जैसे
सूर्य की परिक्रमा करती है बार बार
भोर में आकाश
दीप्त होता है जैसे अरुण की उषा से।
वैसे ही मैं तुम्हें
अपने हृदय के भीतर
प्यार से सोता हुआ पाती हूं।
© पूर्णिमा मंडल अनकहे एहसास
नीला आसमान
पूर्णिमा के चन्द्रोदय से
दीप्त होता जैसे आकाश।
समंदर अपनी लहरों से अपने ही भीतर
भिगोता है जैसे कठोर चट्टान
पृथ्वी जैसे
सूर्य की परिक्रमा करती है बार बार
भोर में आकाश
दीप्त होता है जैसे अरुण की उषा से।
वैसे ही मैं तुम्हें
अपने हृदय के भीतर
प्यार से सोता हुआ पाती हूं।
© पूर्णिमा मंडल अनकहे एहसास
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