![...](https://api.writco.in/assets/images/post/default/story-poem/normal/23.webp)
12 views
मजबूरी
#मजबूरी
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
और कहानी भी कुछ अधूरी है ,,
शायद इसीलिए मजूबरी है ,
उड़ती पतंग की भीगी डोरी है ,
अभी आसमान की सैर अधूरी है ,,
ये कैसी मजबूरी है ,,
तुम जानो क्या क्या मजबूरी है ।
© @suraj__
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
और कहानी भी कुछ अधूरी है ,,
शायद इसीलिए मजूबरी है ,
उड़ती पतंग की भीगी डोरी है ,
अभी आसमान की सैर अधूरी है ,,
ये कैसी मजबूरी है ,,
तुम जानो क्या क्या मजबूरी है ।
© @suraj__
Related Stories
23 Likes
1
Comments
23 Likes
1
Comments