...

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मजबूरी
#मजबूरी
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
और कहानी भी कुछ अधूरी है ,,
शायद इसीलिए मजूबरी है ,
उड़ती पतंग की भीगी डोरी है ,
अभी आसमान की सैर अधूरी है ,,
ये कैसी मजबूरी है ,,
तुम जानो क्या क्या मजबूरी है ।
© @suraj__