...

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दिल के अल्फाज
आज फिर
फ़िज़ां में वही ख़ामोशी है
हवा में वही सन्नाटा है
पगडंडियाँ वैसी ही सुनसान हैं
आहटे वैसी ही निःशब्द है
जैसे उस दिन थी...

जब आकाश का अकेला तारा टूटा था
जीवन का एकाकी सम्बन्ध छूटा था
जब सज गई थी सपनों की चिताएँ
जब मिट गई थी सारी आशाएँ

आज फिर
फ़िज़ां में वही ख़ामोशी...