...

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लेखक
माँ वीणापाणी की असीम कृपादृष्टि से जो,
हमेशा मन के भाव कागज पर अंकन करे,
जिसमे सत्य कहने की ही हिम्मत हो अपार,
लेखक वही जो लेखनी को ना बनाये व्यापार।

उसकी कलम में भाव सभी हो लिखने के पर,
वाणी में राष्ट्र वीरों का अभिनंदन सर्वोपरि हो,
लेखन हर क्षेत्र में पर वही लिखे जो सत्य हो,
लेखक वही जो लेखनी को ना बनाये व्यापार।

ना किसी की पदवन्दना ना कभीं चापलूसी करे,
सत्य सुने, सत्य कहें, सत्य लिखे हर गतिविधि,
हर परिस्थिति में अडिग रहे जो ना डरे ना हारे,
लेखक वही जो लेखनी को ना बनाये व्यापार,

सद्ज्ञान का भंडारण हमेशा जिसमें अपरम्पार,
प्रत्येक क्षेत्र में लिखने का का प्रयास हो हर बार,
करे निज लेखन से माँ शारदा का वंदन बारम्बार,
लेखक वही जो लेखनी को ना बनाये व्यापार ।

© सिंहनाद