दिन ७ अक्टूबर का आया
दिन ७ अक्टूबर का आया,
जिसने आंखों में आसूंओं का सागर छलकाया,
बिना मिले तुम्हारा मुस्कुराता चेहरा मेरे सामने आया।
मन तो था कि लिखूँ एक प्यारा सा बधाई गीत,
पर 'कल्याणी' ने ये कहकर हाथ छुड़ाया,
कैसे लिखूँ बधाई गीत उसके लिए,
जिसने असमय ही...
जिसने आंखों में आसूंओं का सागर छलकाया,
बिना मिले तुम्हारा मुस्कुराता चेहरा मेरे सामने आया।
मन तो था कि लिखूँ एक प्यारा सा बधाई गीत,
पर 'कल्याणी' ने ये कहकर हाथ छुड़ाया,
कैसे लिखूँ बधाई गीत उसके लिए,
जिसने असमय ही...