...

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एक वक्त का सपना
#सपनेऔरदुःस्वप्न
किसी के साथ की बड़े शिद्दत से ख्वाहिश थी ,
शायद कुदरत की हमपे आजमाइश थी ।
सोचा थामेंगे एक शक्श का हाथ हम ताउम्र के लिए,
पर वो शक्श भी न मिला हमे असलियत के दो पल के लिए ।।

फिर लगा खुद का एक जहां बसाएंगे,
सिर्फ यांदो के सहारे अपना घर बनाएंगे ।
शामिल करेंगे हर उस शक्श को जो पीछे छूट गए या छोड़ दिए गए ,
सबके साथ होकर भी एक साथी दूढना ,
इस अंजाम तक मुझे लाने में हिस्सेदारी थी जो सबकी।।

आगे एक दौर आया जज्बातों को सही गलत साबित करने का ,
इस भवर में उलझ खुद ही रो बैठे खुद को ही को बैठे ।
वक्त भी न लगा बारी -बारी सब कुछ बिखरने...