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सवाल?
कितने सवाल हैं ना हम सब की ज़िन्दगीयों में जिनके जवाब हम हर रोज़ तलाशते हैं, कुछ सवालों के जवाब मिलते हैं, कुछ सवाल सवाल ही बने रह जाते हैं,
जिन सवालों के जवाब हमें मिलते हैं वह भी कहीं बार एक और सवाल छोड़ जाते हैं,
कुछ सवालों के जवाब हमें तब मिलते हैं जब हमारे लिए वह सवाल मायने रखना बंद कर जाते हैं,
दिल मैं हर बार एक सवाल आता हैं, क्यों इतने सवाल दिल को सताते हैं, ये क्यों हुआ, किसलिए मेरे साथ ही क्यों, क्यों ना जाने ऐसे कितने सवाल मन को सताते हैं, पर किसी का भी जवाब हम कहा पाते हैं,
दिल अक्सर धक जाता हैं, सोचते सोचते सवालों के जवाब खोजते -खोजते, कुछ जवाब ऐसे होते है की दिल कहता हैं की काश यह सवाल सवाल ही रह जाते काश इनके जवाब हमने ना तलाशए होते,
और कुछ सवाल ऐसे होते हैं, जिनके जवाब हमें तब मिलते हैं, जब हम क्या सवाल था यही भूल जाते हैं,
कुछ सवालों के जवाब दिल को सकून दे जाते हैं, कुछ आंखों को नम कर जाते हैं, क्यों ना सवालों के जवाबों को तलाशा ना जाए, कुछ सवालों को क्यों ना वक़्त के लिए छोड़ दिया जाए, वक़्त क्या जवाब देगा उसका इंतज़ार किया जाए, क्यों ना कुछ सवालों को सवाल ही रहने दिया जाए.
© नेहा शर्मा