...

4 views

गुरु की खुद की कोई जीत नहीं होती, उसके शिष्य की जीत ही उसकी जीत है!
अगर देखा जाए, तो एक गुरु की खुद की कोई जीत नहीं होती, उसके शिष्य की जीत ही उसकी जीत होती है, गुरु अपने शिष्य की जीत से ही खुश हो जाते हैं, क्योंकि एक शिष्य ही है जो अपने गुरु का प्रतिनिधित्व करता है, और उसे अपने महान कर्मों द्वारा महसूस कराता है कि वह विजयी है! गुरु से शिष्य तो चमकते ही हैं, लेकिन कुछ शिष्य भी होते हैं जो अपने गुरु के नाम को चमका देते हैं, रामकृष्ण को पहले इतने लोग नहीं जानते थे जितना कि विवेकानंद को ज्ञान देने के बाद जानने लगे!