...

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बातों की लड़ी
कुछ बातों की लड़ी उसने यूं लगाईं
ना हो पाई जो पूरी वो बातें यूं बनाई
कुछ ना मेरी सुनी बस अपनी सुनाई
बिन बनाए बैरी ने मजबूत कड़ी बनाई
क्या करे उन अधूरी ख्वाइशों का जिनको अब तक मंजिल ना मिल पाई
कुछ बातों की लड़ी उसने यूं लगाई
बिना जकड़े भी उसने कैसी जकड़ लगाई
किसी और को देखने नज़रे ना उठ पाई
मन में ये कैसी वेदना उमड़ी आई
उसकी उन बातों की छाप छप आई
बातों की लड़ी उसने यूं लगाई।
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अंजली राजभर