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तेरी तक़दीर के पन्नों पर तु ही लिखने वाला हैं
तेरी तक़दीर के पन्नों पर तु ही लिखने वाला हैं
अपनी हार का सबब ख़ुद तु बनने वाला हैं
सब कुछ किस्मत पर छोड़ देना कायरों की निशानी
पाना कुछ चाहें वो मेहनत से हासिल करने वाला हैं
डर से डर कर कब तक छुपा तु रहेगा ओ मुसाफ़िर
ज़िंदगी का उसूल ये कि हर कोई इक दिन मरने वाला हैं
पर जो इस हकीकत से रूबरू रहता
वो ये देखें की वो जीतें जी क्या करनें वाला हैं
हार आतीं हैं पर कुछ सीखा कर जातीं हैं
पर हार कर वहीं जीतता जो ना हार से डरने वाला हैं
दुनिया का काम सिर्फ़ कहना कहना होता हैं
पर जिसका ध्यान सिर्फ़ मंज़िल पर वो ना रूकने वाला हैं
कांटों से भरीं यहां राहगुजर भी होंगी
पर ज़ुनून में डूबा कोई यहां ना रूकने वाला हैं
कहेंगी पल पल आलस की आवाज़ तुमको
पर मुसाफ़िर इस जाल में ना फंसने वाला हैं
मंज़िल तलक वो चलता रहेगा
मुसाफ़िर आसानी से ना थकने वाला हैं
कैसा भी ज़ख़्म मिल जाएं ज़िंदगी में
पर मुसाफ़िर हर आलम में हंसने वाला हैं
छोड़ो किस्मत का बहाना देना ओ मुसाफ़िरों
तेरी तक़दीर के पन्नों पर तु ही लिखने वाला हैं

-उत्सव कुलदीप







© utsav kuldeep