तेरी बातें
स्तब्ध हूँ चुपचाप खड़ी धरा पर
मौन हूँ देख रही
उस शांत व्योम को।
प्रश्नचिन्ह अनेक समेटे मन में...
धाराएं तरंगिणी की तट से
आकर टकरा रही।
चोट कर रही हृदय पर,
तेरी बातें इन धाराओं की...
मौन हूँ देख रही
उस शांत व्योम को।
प्रश्नचिन्ह अनेक समेटे मन में...
धाराएं तरंगिणी की तट से
आकर टकरा रही।
चोट कर रही हृदय पर,
तेरी बातें इन धाराओं की...