मन के किसी कोने में
#WritcoPoemPrompt102
हाथ जो तुमने मेरे बालो पे फेरा था..
दुल्हन बन गई थी मैं
लेकिन मन के किसी कोने मे,
तुम हाथ पकड के जब भी रोड क्रॉस करते थे
फ़ेरे भी पूरे कर लिये थे मैंने
लेकिन मन के किसी कोने मे,
पराई तो उसी दिन हो गई थी मैं मेरे घर से..
जिसदिन तुमने मेरा हाथ पकड़ के कहा था ऐसा होगा हमारा घर..
लेकिन मन के किसी कोने मे,
उस घर के डोर पे लगी...
हाथ जो तुमने मेरे बालो पे फेरा था..
दुल्हन बन गई थी मैं
लेकिन मन के किसी कोने मे,
तुम हाथ पकड के जब भी रोड क्रॉस करते थे
फ़ेरे भी पूरे कर लिये थे मैंने
लेकिन मन के किसी कोने मे,
पराई तो उसी दिन हो गई थी मैं मेरे घर से..
जिसदिन तुमने मेरा हाथ पकड़ के कहा था ऐसा होगा हमारा घर..
लेकिन मन के किसी कोने मे,
उस घर के डोर पे लगी...