...

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मन के किसी कोने में
#WritcoPoemPrompt102
हाथ जो तुमने मेरे बालो पे फेरा था..
दुल्हन बन गई थी मैं
लेकिन मन के किसी कोने मे,
तुम हाथ पकड के जब भी रोड क्रॉस करते थे
फ़ेरे भी पूरे कर लिये थे मैंने
लेकिन मन के किसी कोने मे,
पराई तो उसी दिन हो गई थी मैं मेरे घर से..
जिसदिन तुमने मेरा हाथ पकड़ के कहा था ऐसा होगा हमारा घर..
लेकिन मन के किसी कोने मे,
उस घर के डोर पे लगी हमारे name plate भी मैंने सभाँल रखी है..
लेकिन मन के किसी कोने मे,
तुम प्यार से जादा खाने की बातें करते the..
"I love u" तो कभी महीनो मे कहते थे..
कितना लड़ती थी तुमसे जब भी तुम मुझसे ऑफिस की बातें करते थे..
फिर भी तुम्हारी एक प्यार की बातों से मेरा सारा गुस्सा पिघल जाता था..
पढ़ लेती थी तुम्हारी प्यारी सी आँखों को..
लेकिन मन के किसी कोने मे,
सुबह का पहला फोन..
तुम्हारा हेडफोन नही ढूंढ पाना..
"Good morning" वाला मैसेज..
समेट के रखी हु तुम्हारी हर याद को
किसी पिटारे मे भरे खजाने की तरह
लेकिन मन के किसी कोने मे|



© Ankita siingh