...

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मेरे कस्मकस ख़यालात अपने जाँ की ख़ूबसूरती के बखान में💔
सोचता हूँ तुझपर, तेरी ख़ूबसूरती पर, तेरी इन अदाओं पर इक क़िताब लिख दूँ
पर, फ़िर डर लगता है कि लिखते हुए कहीं मेरी आँखें नम ना हो जाए
कलम हाथों में अपनी उठाकर सोचता हूँ इक बार, कि तुम्हारी तारीफों में लिखे गए मेरे किताबों के लब्जों को देखकर इस ज़मानेवालों किसी परियों की
कहानियों का भरम ना हो जाए
हाँ वैसे तो तुम नहीं हो मेरी, और हो भी नहीं सकती कभी शायद पर
अपनी अधूरी...