...

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इश्क का व्यापार
ऐसा नहीं है कि मैं,
उसे प्यार नहीं करता
बस अपने लफ्जों से,
मैं इजहार नहीं करता

समेट कर रखता हूं,
ख़्वाबों को दिल में
मैं बस जज्बातों को,
अखबार नही करता

जिसे दुनिया कहते हो
बस जालिम-ए-शहर है
इसीलिए जख्मों को
मैं सरेआम नहीं करता

हकीकत मालूम है मुझे,
अंजाम-ए-मोहब्बत की
बस इसीलिए इश्क का
मैं व्यापार नही करता

© Vineet