...

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योग-वियोग
नींद धरे न पीर धरे
आंखों में बस उसनींद धरे
प्रेम डगर, में छलके तब
जब दिल में पिय की टीस जगे
प्रेम विरह भी पीर न जाने
सब मधुर मनोहर रंग लिए
विरह पड़े जब प्रेम योग में
तब वियोग प्रेम रंग भंग हुए
प्रेम दीवानी मीरा सी ,,,प्रेम प्रेम बस गाती थी
पड़े वियोग में दुख भरके,,,, रति रात न फिर भाती थी
वियोग बना है योग से
घड़ी प्रेम परीक्षा की
जो मन से प्रीत निभाये
वो वियोग भी जीत जाए
जो मन कपटी रस भरा
वो किसी और मीत हो जाये❤️❣️❤️



© ƧӇƖƊƊƛƬ