...

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प्रकृति तुझमें
मोगरा चमेली तो यूं ही बदनाम है,
ये मनमोहक सुगंध..?
अरे तू महक रही है।
इतनी सुन्दर है कि तुझे देख
निशा ढल गई,
ये शफ़ाक नही प्रिए..
तू चमक रही है।
देख तेरे तेवर
गुलाब भी जलता है,
तितलियां सारी
तेरे बदन से लिपट रही हैं।
तोते ने अपनी चोंच पर
रंग तेरे होंठ का उतरा है,
तूझे ही तो देख
मृग चाल चल रही है।
तू कमल नयन नही
कमल हैं तेरे नयन जैसे,
काली घटा से मानो
ह्रदय पे बिजुरी कौंध रही है।
सूरजमुखी ने
अपना रास्ता है बदला,
सूरज को छोड़
देख तुझे खिल रही है।
आई थी स्वर्ग से
धारा पे एक अपसरा,
देख तुझे अब
अपसरा वो न रही है।

ध्रुव 🖋️


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