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मिसरा
भीगे बदन को मेरे वो हल्के से चूमना,
पल्लू गिरा के शर्म के दरिया में डूबना,
उसका मेरे वजूद को जी भर के घूरना,
खुशबू बदन की मेरे वो रह रह के सूंघना।
किस किस जगह पे उसने ज़बाँ को फिराया था,
कैसे बताऊँ आग जो उसने लगाया था।
© ishqallahabadi🖋
पल्लू गिरा के शर्म के दरिया में डूबना,
उसका मेरे वजूद को जी भर के घूरना,
खुशबू बदन की मेरे वो रह रह के सूंघना।
किस किस जगह पे उसने ज़बाँ को फिराया था,
कैसे बताऊँ आग जो उसने लगाया था।
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