आख़िरत
मेरे जज़्बात थोड़े थम से गए हैं,
अकेलेपन में थोड़ा जम से गए हैं।
अक्सर खुद को अकेला पाता हूं मैं,
और अपने खयालों में खो सा जाता हूं मैं।
अस्तित्व के उठते गहरे सवाल,
और मन में मचता एक बवाल।
मेरे...
अकेलेपन में थोड़ा जम से गए हैं।
अक्सर खुद को अकेला पाता हूं मैं,
और अपने खयालों में खो सा जाता हूं मैं।
अस्तित्व के उठते गहरे सवाल,
और मन में मचता एक बवाल।
मेरे...