दुआ
सुलग रहा था,
इक अरसे से,
बुझने लगा ही था,
किसी ने हवा कर दी,
बढ़ रही थी,
बीमारी हल्के-हल्के,
लाईलाज होने से पहले,
किसी ने दवा कर दी,
बुढ़ाने लगी थी,
हसरतों की उम्र,
किसी ने छेड़ कर,
फि़र जवां कर दी,
भूल चुका था,
मंजिल का पता,
किसी रहनुमा ने,
अंधेरे रास्तों में,
शमां कर दी,
आ गई थी ख़बर,
मेरी रूखसत की,
पर ऐन वक्त पर,
किसी ने दुआ कर दी,
राजेश वर्मा
© All Rights Reserved
इक अरसे से,
बुझने लगा ही था,
किसी ने हवा कर दी,
बढ़ रही थी,
बीमारी हल्के-हल्के,
लाईलाज होने से पहले,
किसी ने दवा कर दी,
बुढ़ाने लगी थी,
हसरतों की उम्र,
किसी ने छेड़ कर,
फि़र जवां कर दी,
भूल चुका था,
मंजिल का पता,
किसी रहनुमा ने,
अंधेरे रास्तों में,
शमां कर दी,
आ गई थी ख़बर,
मेरी रूखसत की,
पर ऐन वक्त पर,
किसी ने दुआ कर दी,
राजेश वर्मा
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