लिहाज...
इस लिहाज से गुजरा हुआ कल भूल गए..
मेरी प्रेरणा के मोती यूहीं धूल गए..
लिहाज का एक विष पीकर...
कब तक छिन्न होता रहूँ..
इन हितैषियों की माला का,
कब तक मैं गुणगान करूँ..
छिपकर होता एक करिश्मा, ...
मेरी प्रेरणा के मोती यूहीं धूल गए..
लिहाज का एक विष पीकर...
कब तक छिन्न होता रहूँ..
इन हितैषियों की माला का,
कब तक मैं गुणगान करूँ..
छिपकर होता एक करिश्मा, ...