...

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हर ख़बर की नज़र से रूबरू है
ज़माने की कुछ ख़बर हम भी रखते है
पल पल के इशारों को हम भी समझे है
ये ज़माना कई मतलबों के साथ यूं चलता
आहिस्ता-आहिस्ता ख़बर हम भी पढ़ते है

कुछ तो असर पड़ता ख़बर से ख़बर का
गुमनाम नाम का ज़िक्र हम भी करते है
ज़रा ज़रा से उसमें तमाम सवाल उठाते
ख़बरों की कहानी तक हम भी पहुँचे है

ये कैसा सिलसिला आधी अधूरी...