28 views
गाँव की यादे
गाँव की मिटटी की वो खुशबू याद आती है,
सुबह की वो गरम चाय याद आती है,
खेत पर जाना, पेडो पर चढ़ना,
काका के खेतो से अमरूद चुरा कर खाना,
नाना जी की वो मीठी डाँट याद आती है,
नानी से थोडी ज्यादा मलाई माँगना,
कभी बिलली का चोरी से दूध पी जाना,
वो हर सुबह पँछियो की आवाज सुनकर उठना,
मामा जी की थोडी रोक टोक याद आती है,
रात को खाना जल्दी खाना,
बाते करते करते सो जाना,
वो हर सुबह तालाब मे नहाना,
शहरो की भाग दौड मे,
हम खुश रहना भूल गए,
पैसे कमाने की रेस मे,
हम मिल कर रहना भूल गए।।
रूचि
सुबह की वो गरम चाय याद आती है,
खेत पर जाना, पेडो पर चढ़ना,
काका के खेतो से अमरूद चुरा कर खाना,
नाना जी की वो मीठी डाँट याद आती है,
नानी से थोडी ज्यादा मलाई माँगना,
कभी बिलली का चोरी से दूध पी जाना,
वो हर सुबह पँछियो की आवाज सुनकर उठना,
मामा जी की थोडी रोक टोक याद आती है,
रात को खाना जल्दी खाना,
बाते करते करते सो जाना,
वो हर सुबह तालाब मे नहाना,
शहरो की भाग दौड मे,
हम खुश रहना भूल गए,
पैसे कमाने की रेस मे,
हम मिल कर रहना भूल गए।।
रूचि
Related Stories
27 Likes
5
Comments
27 Likes
5
Comments