...

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गाँव की यादे
गाँव की मिटटी की वो खुशबू याद आती है,
सुबह की वो गरम चाय याद आती है,
खेत पर जाना, पेडो पर चढ़ना,
काका के खेतो से अमरूद चुरा कर खाना,
नाना जी की वो मीठी डाँट याद आती है,
नानी से थोडी ज्यादा मलाई माँगना,
कभी बिलली का चोरी से दूध पी जाना,
वो हर सुबह पँछियो की आवाज सुनकर उठना,
मामा जी की थोडी रोक टोक याद आती है,
रात को खाना जल्दी खाना,
बाते करते करते सो जाना,
वो हर सुबह तालाब मे नहाना,
शहरो की भाग दौड मे,
हम खुश रहना भूल गए,
पैसे कमाने की रेस मे,
हम मिल कर रहना भूल गए।।
रूचि