निःशब्द हो जाता हूं मैं
निःशब्द हो जाता हूं मैं
जब देखता हूं दो घड़ी की रोटी के लिये
इतनी मेहनत करते हुए पिता को
जो चन्द रोटी के लिये मेहनत का पसीना गिराता है
उसके तन से टपकते हुए वो पसीने के बूंद
तय करते हैं घर के खर्चे
जो विना कुछ खायें चला जाता हैं काम पर
खाली पेट खींचता है रिक्शा या चलाता है खेतों में हल
मैंने कई पिता तो ऐसे देखें है
जो करते हैं...
जब देखता हूं दो घड़ी की रोटी के लिये
इतनी मेहनत करते हुए पिता को
जो चन्द रोटी के लिये मेहनत का पसीना गिराता है
उसके तन से टपकते हुए वो पसीने के बूंद
तय करते हैं घर के खर्चे
जो विना कुछ खायें चला जाता हैं काम पर
खाली पेट खींचता है रिक्शा या चलाता है खेतों में हल
मैंने कई पिता तो ऐसे देखें है
जो करते हैं...