कविता नहीं, व्यथा
#HANGED
जब भी हमें तुम याद आते हो,
जश्न से अलग हमें ले जाते हो।
कब तक बस ऐसे ही तुम यादों मे आओगे,
कब तक तुम बात मेरी आगे न बढ़ाओगे?
कुछ तो सोचो मेरे बारे में,
बता दो कुछ इशारे में।
जान चुके हो मेरे मन की।
कब सुनाओगे अपने मन की?...
जब भी हमें तुम याद आते हो,
जश्न से अलग हमें ले जाते हो।
कब तक बस ऐसे ही तुम यादों मे आओगे,
कब तक तुम बात मेरी आगे न बढ़ाओगे?
कुछ तो सोचो मेरे बारे में,
बता दो कुछ इशारे में।
जान चुके हो मेरे मन की।
कब सुनाओगे अपने मन की?...