पुराना दौर
तेरी निगाहों में उलझकर ख्वाब देखेंगे
खिलती कली को बनता गुलाब देखेंगे
मोहब्बत ए इजहार, पूछूंगा अकेले में
नजर शर्माएगी और हम जवाब देखेंगे
उंगलियों को कहो न संभालो अब...
खिलती कली को बनता गुलाब देखेंगे
मोहब्बत ए इजहार, पूछूंगा अकेले में
नजर शर्माएगी और हम जवाब देखेंगे
उंगलियों को कहो न संभालो अब...