...

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पुराना दौर
तेरी निगाहों में उलझकर ख्वाब देखेंगे
खिलती कली को बनता गुलाब देखेंगे

मोहब्बत ए इजहार, पूछूंगा अकेले में
नजर शर्माएगी और हम जवाब देखेंगे

उंगलियों को कहो न संभालो अब इन्हें
हम गाल छूती जुल्फों का रुबाब देखेंगे

प्यास लगने पर मिलने आना दरिया से
कांपते ओंठो की नियत, खराब देखेंगे

दिल ए ख्वाहिश सर्द रातों में मिलो तुम
हम अंधेरे में पिघलता आफताब देखेंगे

हमारा इश्क है, पुराने दौर का 'जोकर'
चांद को नहीं, हम उनका नकाब देखेंगे

🤡