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देश के जवान
हां सायद वो सरहद के लिए ही बने होते हैं
जो सीना तान वहां पर खड़े होते हैं,
फ़िक्र नहीं रहती उन्हें अपने जान की
वो तो बस देश के लिए अड़े होते हैं ।
वो धूप, गर्मी, सर्दी और बरसात
सब खुशी से सह लेते हैं,
हम तो नहीं रह पाते एक दिन घरवालों के बिन
वो महीनों कैसे रह लेते हैं ?
याद तो कभी भी करते होंगे
अपना घर परिवार वो,
पर है फिर भी वो टिके हुए
बनकर हमारी ढाल वो ।
अगर कभी पड़ती जरूरत तो
जान देकर भी देश की आन बचाते हैं,
देश के प्रति अपना फ़र्ज़ तो
ये जवान ही तो निभाते हैं ।
जो सीना तान वहां पर खड़े होते हैं,
फ़िक्र नहीं रहती उन्हें अपने जान की
वो तो बस देश के लिए अड़े होते हैं ।
वो धूप, गर्मी, सर्दी और बरसात
सब खुशी से सह लेते हैं,
हम तो नहीं रह पाते एक दिन घरवालों के बिन
वो महीनों कैसे रह लेते हैं ?
याद तो कभी भी करते होंगे
अपना घर परिवार वो,
पर है फिर भी वो टिके हुए
बनकर हमारी ढाल वो ।
अगर कभी पड़ती जरूरत तो
जान देकर भी देश की आन बचाते हैं,
देश के प्रति अपना फ़र्ज़ तो
ये जवान ही तो निभाते हैं ।
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