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जिक्र (A tribute to Tunisha Sharma)
कुछ तो हुआ होगा
कि तुम्हारा टूटा ये जिगर
क्या तुम्हें घर की
ना थी कोई फिक्र
कोई अगर दर्द था तो
किया होता ये जिक्र
अपनी ये माँ की ना
थी कोई फिक्र
क्यों ना किया ये जिक्र
तुम्हारी हर जिद पूरी की
क्यों फिर तुमने अपनी जान ली
क्यों छोड़ी ये डगर
क्या तुम्हें अपनी माँ की
ना थी कोई फिक्र
ऐसा क्या भोगा
कुछ तो हुआ होगा
की तुम्हारा टूटा ये जिगर
इतनी छोटी सी उम्र
क्या तुम्हें अपनी माँ की
ना थी कोई फिक्र
अगर कोई दर्द था
तो किया होता ये जिक्र.
कि तुम्हारा टूटा ये जिगर
क्या तुम्हें घर की
ना थी कोई फिक्र
कोई अगर दर्द था तो
किया होता ये जिक्र
अपनी ये माँ की ना
थी कोई फिक्र
क्यों ना किया ये जिक्र
तुम्हारी हर जिद पूरी की
क्यों फिर तुमने अपनी जान ली
क्यों छोड़ी ये डगर
क्या तुम्हें अपनी माँ की
ना थी कोई फिक्र
ऐसा क्या भोगा
कुछ तो हुआ होगा
की तुम्हारा टूटा ये जिगर
इतनी छोटी सी उम्र
क्या तुम्हें अपनी माँ की
ना थी कोई फिक्र
अगर कोई दर्द था
तो किया होता ये जिक्र.
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