...

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रोना ऊर्जा है
रोने का दिल करे तो क्या रो लें?
रोना क्यूँ आया ; क्या इसको ना सोचें?
हाँ हल्का हो जाता है सीना; बिना मांगे दर्द से
जब हम रो लेते हैं मन भर के
पर सांत्वना देने वाला गर ना हो कोई
तब अपने ही आगे रो लें?
हाँ रोना ही पड़ेगा अकेले
क्यूंकि दूसरे सिर्फ़ खुशीयों में शामिल होते हैं
पर वो भी अकेले ही होंगे रोते
क्यूंकि हमें रोते लोग पसंद नहीं होते।
इसलिए अंदर के दर्द को बहा दो
आँसुओं की अमृत धार में
फ़िर तुम खुद को अनुभव करोगे
एक चिर स्थाई शांति में
क्यूंकि रोना ऊर्जा है तुम्हारे मन का
जिसमें नाश होता है तुम्हारे द्वंद्व का।