...

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मुसाफिरों के लिए राह ही साथी है
तू अकेला ही काफी है ,
मुसाफिरों के लिए राह ही साथी है।
बहुत कुछ करना अभी बाकी है,
यदि दुनिया में अपना पहचान बनाना चाहती है ।
चलते जा तू अपने पथ पर
रुकना कभी नहीं तुम थक कर,
बढ़ते जाना बस यूँ डट कर ,
कांटे मिले भले इन पथ पर।
कांटो मे राह बनाते जा
आपने डर को तू हराते जा
दुनिया मे जगह बनाना अभी बाकी है,
मुसाफिरों के लिए राह ही साथी है।
नगर गागर मे भरता पानी ,
डगर में अगर मिले बेइमानी।
उनको सबक सिखाते जा ,
खुद बढ़ और लोगो का हौसला बढाते जा।
हौसला अगर बुलंद है तेरी,
मंजिल हि गगन हैं तेरी।
हवा चीर तू बढ़ते जा,
मंजिल अभी तेरी बाकी है।
मुसाफिरों के लिए राह ही साथी है।
अगर पहाड़ रोके पथ तेरा ,
समझ के मार उसे एक ढेला।
अपने हौसले को और बढ़ाते जा,
उससे बड़ा पंख फैलाते जा।
जब दिखने लगे तुझे यह् छोटा,
उठा के फेक जो भी तुझे रोका।
हर मुश्किल को दूर भगाते जा ,
वीरगति तू पाते जा।
इतिहास बनाना अभी बाकी है,
मुसाफिरों के लिए राह ही साथी हैं ।

© Savitri..