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मानिए...✍️✍️ (गजल)
महबूब को दिलों जान मानिए
निज दिल का मेहमान मानिए

नफरत से पूजो तो पत्थर है वो
प्रेम से पूजो तो भगवान मानिए

आसमां तक नहीं जा सकते तो
अपनी छत को आसमान मानिए

जब तुमने की है सच्ची मोहब्बत
क्या लाभ क्या नुकसान मानिए ?

कितना प्यार किया तुझे 'सत्या'
उस शख्स का एहसान मानिए

जो जीते हैं जिंदगी आडंबरों में
उन लोगों की झूठी शान मानिए

छुपाई जाती है हर सच्ची बात
न खबर कोई कानों कान मानिए

जहां के मतलबी लोगों से साहब
मैं भी हूं बहुत परेशान मानिए

जो कर दे तेरी जिंदगी में सवेरा
उस दोस्त को रोशनदान मानिए

जो बार - बार तुमको ठुकराये
अभिमानी का अभिमान मानिए

कि प्यार नहीं है तुमसे कह दे
फिर दिल से उसका ज्ञान मानिए

© Shaayar Satya