dekha undekha
मैंने सोच को सच होते देखा है
हां,मैंने माहौल बदलते देखा है।।
मैंने आंखों की नमी को
होठो की मुस्कुराहट को
गालों की नरमाहट को
बालों से छुपाते देखा है
मैंने सोच को सच होते देखा है
हां,मैंने माहौल बदलते देखा...
हां,मैंने माहौल बदलते देखा है।।
मैंने आंखों की नमी को
होठो की मुस्कुराहट को
गालों की नरमाहट को
बालों से छुपाते देखा है
मैंने सोच को सच होते देखा है
हां,मैंने माहौल बदलते देखा...