1 views
सृजन
सभी चोटे निर्मात्री हैँ.
इनसे ही सर्जित होता हमारा जीवन जो हमेशा कहता हैँ
मै बनूगा निखरुगा खिलूँगा
इसके लिए जीवन को लगने वाली हर चोट शुभ हैँ.
चोट न पड़ी तो फिर मै जागूँगा क्यों कर और कैसे
अँधेरी रात हैँ उजियाला लाऊंगा कैसे
दीया तो जीवन का जलाना ही पड़ेगा.
जन्मों जन्मों की आदत हैँ अंधेरो मे रहने की
जीवन की इस लम्बी मूर्छा को तो अब तोडना ही पड़ेगा जबकि आदते हमारी पथर सी सख्त हैँ.....
अब तो होश की जलधारा से इस कठोर पथर को तोडना ही होगा
इनसे ही सर्जित होता हमारा जीवन जो हमेशा कहता हैँ
मै बनूगा निखरुगा खिलूँगा
इसके लिए जीवन को लगने वाली हर चोट शुभ हैँ.
चोट न पड़ी तो फिर मै जागूँगा क्यों कर और कैसे
अँधेरी रात हैँ उजियाला लाऊंगा कैसे
दीया तो जीवन का जलाना ही पड़ेगा.
जन्मों जन्मों की आदत हैँ अंधेरो मे रहने की
जीवन की इस लम्बी मूर्छा को तो अब तोडना ही पड़ेगा जबकि आदते हमारी पथर सी सख्त हैँ.....
अब तो होश की जलधारा से इस कठोर पथर को तोडना ही होगा
Related Stories
6 Likes
0
Comments
6 Likes
0
Comments