...

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वीर जवान
यह शहादतो का सिलसिला कब तक यूं ही चलता रहेगा , कब तक यू मौतों पर तिरंगे से लिपटा किसी वीर का शरीर मिलता रहेगा ।

कब तक एक माता को अपने ही औलाद के जाने का यूं मातम मनाना पड़ेगा । जो अपने ही घर पर अगली छुट्टी पर आऊंगा ऐसा कह कर गया था , वो उसके घर की छत वो उसके घर का आंगन कब तक उसकी वाट जोड़ेगा ।

क्या अब भी उसकी बहन उसकी राखी लेकर उसका अपनी ही घर की गली पर उसका इंतज़ार करेगी , जो कह कर गया था कि अगली छुटियो में आएगा ।

कब तक कई घरों को यूं आंतकवाद की इस लड़ाई से यूं रुखसत होना पड़ेगा ,कब तक यूं कई घरों में चूल्हों में यूं पानी डालना पड़ेगा । अब तो कहीं ना कहीं इन सब का अंत होना ही चाहिए ।

अब ना तो किसी भी पिता की आंखे नम हो , ना ही किसी भी मां की हंसी जाए । ना ही किसी भी बहन का भाई उससे दूर जाए । आओ आज से आप और हम मिलकर एक अमन और शांति का देश बनाए , ना लड़े ना लड़वाए ।