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चाहते हद से गुज़री...…✍️
चाहते हद से गुज़री
हद से चाहते गुज़री
चलता रहा सिलसिला यूं ही
कि मेरे ज़हन से हर दुआ गुज़री

वो ख़ुश थे अपनी महफ़िलों मे
ओर यहां हर रोज़ ज़हन से
मेरे जज़्बातों की अर्थी गुज़री

उम्र गुज़र रही है अब तलक भी
यूं ही ज़नाजे ढोते हुए
क्या बताऊ ए - ज़माने तुमको
कि हर रोज़ मुझ पे यहाँ क्या - क्या गुज़री

Badjubaan katib ✍️
@ jazbaat