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कुछ यादों के पल....
खोला जो यादों का पिटारा
सालों पहले के, आज के कुछ खास पल निकल आए
करीने से लगाने लगी थी अलमारियां
तेरे पुराने झबले, खिलौने निकल आए
समेट कर रख दिया था तेरे बचपन को मैंने
एक डब्बे से तेरे कांच के कंचे निकल आए
घूमते रहते थे मेरी निगाहों के सामने तुम
अब बस मोबाइल में तेरे अक्स को निहार पाए
क्या कहूं क्या कहूं कुछ और मैं
बस ,आज कुछ, खास पल यादों से निकल आए
© ऋत्विजा
सालों पहले के, आज के कुछ खास पल निकल आए
करीने से लगाने लगी थी अलमारियां
तेरे पुराने झबले, खिलौने निकल आए
समेट कर रख दिया था तेरे बचपन को मैंने
एक डब्बे से तेरे कांच के कंचे निकल आए
घूमते रहते थे मेरी निगाहों के सामने तुम
अब बस मोबाइल में तेरे अक्स को निहार पाए
क्या कहूं क्या कहूं कुछ और मैं
बस ,आज कुछ, खास पल यादों से निकल आए
© ऋत्विजा
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