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मायूसी कैसी
की अंधेरे तो हैं राहों में मेरे,
और,
रोशनी की तलाश भी है।
मिल जाएं धूप का एक टुकड़ा तो राहों में उजाले होंगे,
मगर ना भी मिले तो मायूसी कैसी?
राहों में लौ जलाने की ताकत रखती हूं..!!
हां किसी के साथ की जरूरत तो है मुझे,
और
इंतजार भी,
जो मिल जाए वो तो रख दूं उसके कन्धे पर सिर और बेफिक्र का दामन ओढ़ लूं जरा सा।
मगर ना मिले किसी का साथ तो मायूसी कैसी?
अभी उम्र के आखिरी पड़ाव तक अकेले चलने की ताकत रखती हूं..!
और,
रोशनी की तलाश भी है।
मिल जाएं धूप का एक टुकड़ा तो राहों में उजाले होंगे,
मगर ना भी मिले तो मायूसी कैसी?
राहों में लौ जलाने की ताकत रखती हूं..!!
हां किसी के साथ की जरूरत तो है मुझे,
और
इंतजार भी,
जो मिल जाए वो तो रख दूं उसके कन्धे पर सिर और बेफिक्र का दामन ओढ़ लूं जरा सा।
मगर ना मिले किसी का साथ तो मायूसी कैसी?
अभी उम्र के आखिरी पड़ाव तक अकेले चलने की ताकत रखती हूं..!
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