नग़्मा-ए-हिजराँ
ये जो नग़्मा-ए-हिजराँ गा रहा हूँ मैं,
अस्ल में खुद की ही सुना रहा हूँ मैं।
ज़र्ब दिल की नासूर बन रही दिन-ब-दिन ,
आंखों से फिर भी सब छिपा रहा हूँ मैं।।
मुझे मालूम है नामुमकिन है अब आना उसका,
फिर भी दिल...
अस्ल में खुद की ही सुना रहा हूँ मैं।
ज़र्ब दिल की नासूर बन रही दिन-ब-दिन ,
आंखों से फिर भी सब छिपा रहा हूँ मैं।।
मुझे मालूम है नामुमकिन है अब आना उसका,
फिर भी दिल...