मेरे कृष्ण-कन्हाई
मै रुप निरेखू जब-जब तोरी
मन मोरा हरसाए
शेष रही ना मन की इच्छा
जबसे प्रीत लगाए
श्यामल-श्यामल सुरत तोरी
देखूँ सबै सुख पाऊं
तू मोहन मेरो...
मन मोरा हरसाए
शेष रही ना मन की इच्छा
जबसे प्रीत लगाए
श्यामल-श्यामल सुरत तोरी
देखूँ सबै सुख पाऊं
तू मोहन मेरो...