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शिक्षक
शिक्षक दिवस पर विशेष
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मां नींव रखती है, गुरु नींव को सींचता है,
पिता बिखेरता है मोती,गुरु उन्हें बीनता है,
गुरु सा धैर्यवान दूसरा कोई नहीं संसार में,
गुरु सिखाता है तरक्की,संसार खींचता है।

पिता पंख देता है,गुरु पसारना सिखाता है,
पिता बताता है राह, गुरु दिशा दिखाता है,
गुरु का स्थान ईश्वर से भी पहले क्यों है..?
क्योंकि पिता पुत्र किंतु गुरु इंसां बनाया है।

अज्ञानता दूर करता, अन्धकार भगाता है,
जलाता है ज्ञानज्योति,प्रकाशवान बनाता है,
गुरु देता है हमें संसार का सत्य का ज्ञान,
इन सब सांसारिक बंधनों से दूर ले जाता है।

आकाश हो या पाताल हो,वायु हो या जल हो,
विरल हो या विकल हो,शान्त हो या सजल हो।
वो हर परिस्थिति से निबटना सिखाता है हमें
हमेशा चाहता है भविष्य हमारा उज्ज्वल हो।

जीवन में गुरु का स्थान हमेशा सर्वोपरि रखना,
मान-सम्मान देना हमेशा, उन्नतिशील बनना,
गुरु का आशीर्वाद तो ईश्वर कृपा से मिलता है,
मंजिल मिलेगी,गुरु के बताए पथ पर ही चलना।

© ~ आकांक्षा मगन “सरस्वती”