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कलाकार
सूखा पड़ा था
बिलबिलाती धूप,
खिलखिलाता चील,
ड़रावना माहौल,
उड़ा रहा था मखौल,
ऐसे में ही वो आया होगा,
उसने कहा होगा..
इसमें बारिश लाऊंगा
सबने मज़ाक उड़ाया होगा,
मगर वो अतरंगी अपनी धुन में,
राग मल्हार सुनाया होगा,
शुष्क धरा पे छमछम बरखा,
उसने चैन पाया होगा,
पागल नहीं
कलाकार एलियन होते हैं,
अपनी कला से
वो थोड़े बहुत इँसान बने रहते हैं!
©jignaa___
बिलबिलाती धूप,
खिलखिलाता चील,
ड़रावना माहौल,
उड़ा रहा था मखौल,
ऐसे में ही वो आया होगा,
उसने कहा होगा..
इसमें बारिश लाऊंगा
सबने मज़ाक उड़ाया होगा,
मगर वो अतरंगी अपनी धुन में,
राग मल्हार सुनाया होगा,
शुष्क धरा पे छमछम बरखा,
उसने चैन पाया होगा,
पागल नहीं
कलाकार एलियन होते हैं,
अपनी कला से
वो थोड़े बहुत इँसान बने रहते हैं!
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