...

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प्रेम की व्याकरण
दो जन की
परिमित आंखें मिल कर
अपरिमित दृश्य देख सकती है

ठीक वैसे ही
जैसे
दो हथेलियां मिलकर
ईश्वर को पकड़ने निकली हो

ईश्वर और प्रेम की कोई व्याकरण नहीं है
अगर होती तो
प्रेम की व्याकरण
ईश्वर से जटिल होती
#निशेष_प्रेम
© नि शेष प्रेम