...

20 views

भाई.!
अब कोई गेट के बाहर‌‌ से‌ ही आवाज़ लगाते हुए घर‌ में नहीं आता
अब कोई मेरे लिए मिठाई या पटाखे भी नहीं लाता
न‌ ही कोई पूछता है कि दीदी सैलेरी आ गई क्या
मुझे भाई-दूज पर गिफ्ट क्या दोगी
वो‌ आख़िरी तोहफ़ा याद है तुम्हें?
जब साड़ी की दुकान पर तुमने कहा था
दीदी जिस साड़ी पर हाथ रखोगी वो तुम्हारी होगी
अब घर में रौनक नहीं दुनिया की किसी भी अनमोल चीज़ से
वो रौनक जो होती थी बस एक तुम्हारी हँसी से
जब हर बात कहते थे मुझसे
तो अपनी परेशानी भी मुझसे कहते न.!
तुम ही कहो वो कैसे मनाएँ दिवाली
जिस घर का राम वन से लौटे ही न.
क्या कहूँ क्या‌ गुज़रती है
तेरे बग़ैर कोई राखी कोई दिवाली ख़ास नहीं होती
और जब से तुमने आना जोड़ दिया
तब‌ से‌‌ दिन तो ढलता है हर रोज़
मगर मेरे घर शाम नहीं होती.!