भाई.!
अब कोई गेट के बाहर से ही आवाज़ लगाते हुए घर में नहीं आता
अब कोई मेरे लिए मिठाई या पटाखे भी नहीं लाता
न ही कोई पूछता है कि दीदी सैलेरी आ गई क्या
मुझे भाई-दूज पर गिफ्ट क्या दोगी
वो आख़िरी तोहफ़ा याद है तुम्हें?
जब साड़ी की दुकान पर तुमने कहा था
दीदी जिस साड़ी पर...
अब कोई मेरे लिए मिठाई या पटाखे भी नहीं लाता
न ही कोई पूछता है कि दीदी सैलेरी आ गई क्या
मुझे भाई-दूज पर गिफ्ट क्या दोगी
वो आख़िरी तोहफ़ा याद है तुम्हें?
जब साड़ी की दुकान पर तुमने कहा था
दीदी जिस साड़ी पर...