...

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तन्हाई

अक्सर तन्हाई में,
बातें भी चुप हो जाया करती हैं।
जब मन नहीं होता कुछ सुनने का,
तो रातें भी शोर मचाया करती हैं।।
उजाले कर लेते हैं दुश्मनी ना जाने क्यूँ?
तो अंधेरे को ही गले से लगाया करती हैं।
अश्क बह जाते हैं सारे...