सृष्टा
कर दो सुराख
सारी सरहदों में,
जो रुकावट हो
रोशनी को तुम तक आने में..
बना दो
सारी खिड़कियों को दरवाज़े,
जिसकी चाबी हो
सिर्फ तुम्हारे हाथों में..
तोड़कर गिरा दो
हर वो दरो-दीवार,
जो जबरन बांधती हो
तुम्हें दायरों में..
चलो, दौड़ो, उड़ो,
जहां तक चाहो तुम,...