...

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ऐसा इन्शान हुँ
टूटती हसरतों की गम मे डूबी एक किताब हूँ
सुन कर अनसुना कर देते हैं जिसे दम तोड़ती मै वो आवाज़ हुँ
ज़ख्म मिलते हैं ऐसे ऐसे की बिखेर कर रख देते हैं
कहना चाहता...