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देखो हंस ना देना(यादों के पन्नो से कुछ शब्द)
हाथ में पकड़ के मोबाइल,क्यों कटरीना होय,
बंदर सी तेरी शक्ल,चांद सी कभी ना होय ।
बिना मर्ज के मरेगा,समझाया था तोय,
भरी ठंड में नहा के,फिर तू काहे को रोय ।
बुरा जो देखन मैं चला,बुरा न मिलिया कोय,
पंगा लेकर पुलिस से, साबित बचा न कोय।
दोहों को पढ़कर मेरे,क्यों दिमाग लियो चलाए
हास्य व्यंग में क्यों रहे ज्ञान की दीप जलाए ।
© ehsaasmere(अकेला)
बंदर सी तेरी शक्ल,चांद सी कभी ना होय ।
बिना मर्ज के मरेगा,समझाया था तोय,
भरी ठंड में नहा के,फिर तू काहे को रोय ।
बुरा जो देखन मैं चला,बुरा न मिलिया कोय,
पंगा लेकर पुलिस से, साबित बचा न कोय।
दोहों को पढ़कर मेरे,क्यों दिमाग लियो चलाए
हास्य व्यंग में क्यों रहे ज्ञान की दीप जलाए ।
© ehsaasmere(अकेला)
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