काश मैं होती कोई खंडित मूरत...
किसी भग्न मूरत या किसी खंडित प्रतिमा के भांति पड़ी रहने दे मुझे अपने चरणों में कान्हा...
जहां...
मुझपर किसी की नजर पड़े तो भी मैं नजरंदाज हो जाऊ.....
जहां...
मुझपर किसी की नजर पड़े तो भी मैं नजरंदाज हो जाऊ.....